जिन लोगों ने Kantara फिल्म देखी और पसंद भी की है और उनके लिए यह अच्छी खबर भी है। और फिल्म के डायरेक्टर-एक्टर ऋषभ शेट्टी ने भी फिल्म के दूसरे पार्ट को लाने की घोषणा कर दी गई है।
और फिल्म का यह दूसरा पार्ट सीक्वल नहीं बल्कि प्रीक्वल होगा। और इस पार्ट में फिल्म के आगे की कहानी नहीं बल्कि कांतरा से पहले की कहानी भी बताई जाएगी।
और ऋषभ शेट्टी की मानें तो उन्होंने Kantara के प्रीक्वल की कहानी लिखनी शुरू भी कर दी गई है और इस फिल्म को 2024 में रिलीज भी किए जाने की योजना भी है।
और Kantara की ही तरह कांतरा प्रीक्वल में भी ऋषभ शेट्टी लीड रोल में भी दिखाई देंगे और निर्देशन भी उन्हीं का ही होगा।
और ऋषभ के अनुसार फिल्म के प्रीक्वल का बजट काफी ज्यादा बड़ा होगा और इसे शानदार तरीके से भी बनाया जाएगा। और फिल्म का प्रीक्वल दर्शको को कांतारा से भी ज्यादा पसंद भी आएगा और ऐसी ऋषभ शेट्टी को उम्मीद भी है।
सीक्वल नहीं है प्रीक्वल Kantara
गौरतलब है कि कांतरा को रिलीज हुए लगभग 4 महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं। पर लेकिन थियेटरों के बाद ओटीटी पर भी फिल्म को दर्शकों से उतना ही प्यार मिल रहा है।
और जितना रिलीज होने पर मिला था। और 16 करोड़ में बनी इस फिल्म ने 400 करोड़ की कमाई भी करी थी। और पहले यह फिल्म कन्नड़ भाषा में रिलीज की गई थी।
पर वहां हिट होने के बाद इसे अन्य भाषाओं में पैन इंडिया लेवल पर रिलीज भी करा गया था। और यह फिल्म देखने के बाद दर्शक अगले पार्ट का बेसब्री से भी इंतजार कर रहे थे।
पर लेकिन ऋषभ शेट्टी ने यह कहकर सबको अचंभित कर दिया था कि वह फिल्म का अगला नहीं बल्कि पहला पार्ट भी लेकर आएंगे।
और ऋषभ का कहना है कि कांतरा की शूटिंग के दौरान ही यह आइडिया उनके दिमाग में आया था कि वह फिल्म का प्रीक्वल भी बनाएंगे।
और उनके अनुसार कर्नाटक की हिस्ट्री में काफी ज्यादा गहराई है। नई फिल्म की घोषणा करते हुए उन्होंने दर्शकों का शुक्रिया भी अदा किया था। और जिसके कारण वह अगली फिल्म बनाने का स्टेप भी ले पा रहे हैं।
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देवता पंजुरी की है कहानी
Kantara की कहानी कर्नाटक के दैव पंजुरी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। और कहानी 1847 में मंगलौर के राजा की ही थी।
जोकि अपने घर की सुख-शांति भी चाहता है और इसलिए स्थानीय देवता पंजुरी को अपने साथ भेजने के लिए भी गांववालों को मनाता है।
और बदले में वह गांववालों को जमीन भी देता है और पंजुरी देव को वचन देता है कि न वह और न उसके वंशज कभी इस जमीन को गांववालों से वापस भी लेंगे।
पर कहानी तब मोड़ पर लेती है जब 1970 में राजा के वंशज उस जमीन को गांव वालों से वापस लेने की कोशिश भी करते हैं।